लब पे आती है दुआ बन के तमन्ना मेरी.. इमरान प्रतापगढ़ी

इमरान प्रतापगढ़ी शायरी।  



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लब पे आती है दुआ बन के तमन्ना मेरी,
सुन ले तू आज ये फरियाद खुदाया मेरी।







टूटता जाता है दिल , सांस ठहर जाती है,
हर तरफ़ लाशों के उठने की ख़बर आती है ।





अहले-दुनिया ने तेरी बात नहीं मानी है,
तू है नाराज़ तो वीरानी ही वीरानी है ।







वो बला आई ,वो आफ़त,वो मुसीबत आयी,
सारे आलम को बचाने की ज़रूरत आयी।




तू अगर चाहे तो हर बात को बेहतर कर दे,
इक नज़र डाल के हालात को बेहतर कर दे।






लब पे आती है दुआ बन के तमन्ना मेरी,
सुन ले तू आज ये फरियाद खुदाया मेरी !







हर तरफ़ सिर्फ़ अँधेरा नहीं देखा जाता,
रोज़ इस डर में इज़ाफ़ा नहीं देखा जाता ।







तू जो चाहे तो बुरा वक्त भी टल जायेगा,
रात की कोख से सूरज भी निकल आयेगा।






प्यार की अम्न की, हिम्मत की दवा दे मौला,
हम गुनहगारों को थोडी तो, शिफ़ा दे मौला ।






बागबाँ अपने हर एक गुल की हिफ़ाज़त करना,
हर घड़ी, बाग की, बुलबुल की हिफ़ाज़त करना ।







 लब पे आती है दुआ बन के तमन्ना मेरी,
 सुन ले तू आज ये फरियाद खुदाया मेरी




इमरान प्रतापगढ़ी शायरी। दो निवाले भले कम ही खाया करें।

दो निवाले भले कम ही खाया करें,
अपने बच्चों को लेकिन पढ़ाया करो।  


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